तरंगाग्र क्या है,हाईगेंस का तरंग सिद्धांत समझाइए। Taranggagr kya hai . Haigens ka tarang shidhanto samjaiye
हाईगेंस का तरंग सिद्धांत:-
हाइगेंस का तरंग सिद्धांत के अनुसार
(१)प्रकाश तरंग के रूप में चलता है।
(२)यह तरंगे सभी दिशाओं में अत्यधिक बैग(3×10⁸ m/s) से चलती हैं जब यह किसी वस्तु से परावर्तित होकर आंखों पर पहुंचते हैं तो हमें वस्तु की उपस्थिति का आभास होता है।
(३)संपूर्ण ब्रह्मांड में काल्पनिक माध्यम इथर व्याप्त है इस माध्यम से होकर चलती है।
(४)इथर भरहिन्न तथा समांगी होता है इसका घनत्व बहुत ही कम तथा प्रत्यास्थता बहुत ही अधिक होती है।
(५)विभिन्न रंगों का आभास तरंग देर में अंतर के कारण होता है।
(६)प्रारंभ में प्रकाश तरंगों को अनुदैर्ध्य माना गया था किंतु बाद में भुवन की व्याख्या करने के लिए इसे अनुप्रस्थ माना गया।
तरंगाग्र:-
किसी चाल विशेष माध्यम कि वह सत्य है जिस पर स्थित सभी करण समान कला में कंपन करते हैं तिरंगा के कहलाते हैं।
जैसे-जैसे तरंग आगे बढ़ती जाती है तरंगाग्र भी आगे बढ़ता जाता है। तरंगाग्र के लंबवत से खींची गई रेखा प्रकाश किरणों को प्रदर्शित करती है।
तरंगाग्र के प्रकार:-
तरंगाग्र के तीन प्रकार के होते हैं।
(१)गोलाकार तरंगाग्र
(२)समतल तरंगाग्र
(३)बेलनाकार तरंगाग्र
(१).गोलाकार तरंगाग्र:-
जब प्रकाश स्तोत्र एक निश्चित दूरी पर स्थित हो तथा प्रकाश स्रोत बिंदु स्रोत हो तो प्राप्त तरंगाग्र , गोलिय तरंगाग्र होता है।
गोलियां तरंगाग्र की तीव्रता प्रकाश स्रोत से दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती(I ०< 1/r²) एवं प्रकाश स्रोत के व्युत्क्रमानुपाती (A ०< 1/r²) होता है ।
चित्र:-
(२)समतल तरंगाग्र:-
जब प्रकाश अनंत पर स्थित हो तो माध्यम में तरंगे एक ही दिशा में होती है यदि किसी क्षण इसकी दिशाओं के लंबवत एक समतल पृष्ठ खींचा जाए तो पृष्ठ पर उपस्थित सभी कोणों के कंपन समान कला में होते हैं इसे समतल तरंगाग्र कहते हैं।
प्रत्येक समतल तरंगाग्र की तीव्रता और आयाम समान होते हैं।
चित्र:-
(३) बेलनाकार तरंगाग्र :-
जब प्रकाश स्त्रोत जिल्ली के रूप में हो तो प्राप्त तरंगाग्र बेलनाकार तरंगाग्र होता है।बेलनाकार तरंगाग्र में कि तीव्रता प्रकाश स्त्रोत से दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होती है जबकि आयाम से दूरी के वर्गमूल के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
चित्र:-
Very helpful information
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